एक पिता ऐसा भी..!

नागपुर (प्रा.राहुल जी.गौर) - आज फादर्स डे हर किसी के जीवन मे पिता का अपना ही एक महत्व होता है.पिता हमे रोज ज्यादा समय के लिए न दिखे लेकिन पिता का अस्तित्व ही बच्चों की असली ताकत होती है. ऐसे ही कहानी है समाजसेवी किशोर जियालाल करतार की नागपुर मे एक गरीब परिवार मे जन्मे किशोर जियालाल करतार समाज के लिए एक आदर्श पिता साबित हुए.बचपन से छोटी छोटी चीजों के लिए तरसनेवाले किशोर जी ने अपने पिता बनने के बाद अपने दो बेटों के लिए अपने तिजोरी के ताले सदा खुले रखे कभी किसी चीज के लिए उन्हे तरसने नही दिया किशोर जी चाहते थे जिस तरह अपने जीवन मे उन्हे हर एक चीज के लिए तरसना पड़ा वैसे मेरे बच्चें न तरसे बस इसी उद्देश से उन्होंने सदा बच्चों के लिए दोनो हाथ खुले रखे.किशोर जी की कहानी एक एवर्ग्रीन कलाकार जैसी ही है.बड़ी कठिनाई से एम.कॉम तक शिक्षण लिया उसके बाद कड़े संघर्ष से बिजली विभाग मे सरकारी नौकरी प्राप्त की लेकिन पाच भाई और दो बहनों मे सब से ज्यादा या युही कहों की एकमेव पढ़े लिखे वही थे इसलिए सभी परिवार पर ध्यान देना भी जरूरी था उसी तरह पिछड़े समुदाय मे जन्म लिया है तो उस समाज को आगे देखना भी उनका सपना रहा इसलिए वे सदा सामाजिक कार्य मे अग्रसर रहे भोई समाज पंच कमेटी को समाज कार्य हेतु अपनी सारी जवानी अर्पित करदी पाच वर्ष सचिव तो अगले पाच वर्ष अध्यक्ष पद पर विराजमान हुए और आज रिटायरमेंट के बाद भी भोई समाज पंच कमेटी के साथ जुड़े है.अच्छे कामों का फल अच्छा ही होता है या युही कहों अछाई कहिना कही काम आयी जाती है.ऐसी ही कुछ घटना उनके जीवन मे हुई.एकदिन किशोर जी का बड़ा लड़का १२ वी कक्षा मे पढ़ते वक़्त संक्रांत के दिन दो माला बिल्डिंग से दीवाल के साथ गिरपड़ा लेकिन पिता की अच्छाई काम आगयी और उनके लड़के शैलेंद्र को रामजी की कृपा से कुछ नही हुआ इसे चमत्कार ही समझों दूसरी घटना कोरोना काल की है.जब उनकी धर्मपत्नी को कोरोना हुआ मेयो हॉस्पिटल नागपुर के डॉक्टर ने जवाब देदिया की आप अब आशा मत रखों लेकिन चमत्कार तो देखो पूरे ४५ दिन बाद उनकी धर्मपत्नी अच्छी होकर घर लौट आई.इसलिए किशोर जी कहते है अच्छे कार्य करते चलों सब अच्छा होंगा.अपने जीवन मे सदा व्यस्त रहनेवाले किशोर जी अपने बच्चों येजवेंद्र, शैलेंद्र के लिए आदर्श तो है वैसे ही पूरे समाज के लिए भी आदर्श साबित हुए है।

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