ग्रामीण ईलाकों में जल योजनाओं पर सरकार के करोडों खर्च यह कैसा विकास, नये दौर में महिलाओं को पनघट की तलाश .!
मुल (नासीर खान) : जिवन प्राधिकरण प्रादेशिक जल योजनाओं पर सरकार के करोडो खर्च हो गये फिर भी ग्रामिण क्षेत्र की जनता पानी को तरस रही है. महिलाओं को पिने के पानी के लिए यहां वहां ईधर उधर पनघट पर भटकते देखा जा रहा है यहां यह समझ पाना मुश्कील हो रहा है के हम विकास मे आगे बढ रहे हैं या उस गुज़रे दौर मे लौट रहे है जब महीलाओं के सर पर दो दो तिन तिन मटकियां होती थी और महिलाएं कतार बद्ध होकर पनघट पर जाती थी और सुखी नदी के पात्र मे रेती उपस कर गढे कर झरों से पानी लाती थी.
ग्रिष्म काल की आहट महसुस होने लगी है और ग्रामिण ईलाकों में नल से जल की बुंद का टपकना बंद हो जाए तो ऐसे में हर घर में जल की व्यवस्था कर पहुंचता करने की जिम्मेदारी प्रशासन की होती है ठेकेदारों के भरोसे जनता को छोड देनाऔर बार बार 10- 15 दीन पाईप लाईन के दुरूस्ती पर लगना तो कभी विद्युत विभाग द्वारा सप्लाय काट दिया जाना और नलों से पानी का टपकना बंद होजाना और महीलाओं का पिने के पानी के लिए दर दर भटकना ईसके बावजुद सरकार ने विकास का ढिंडोरा पिटना यही दर्शा रहा है की जल योजनाओं के अंतर्गत किया गया काम घटिया दर्जे का हुआ है या फिर ठेकेदार की मनमानी, लापरवाही को जि.प.द्वारा नज़र अंदाज़ किया जा रहा है दुसरा यह के जिला परीषद द्वारा जल योजना के विद्युत बिलों का भुगतान ना करना यह समझ से परे है लेकिन यहां कडवा सच तो यही है की संबंधित अधिकारीयों और ठेकेदारों की जुगलबंदी पर भुगतमान जनता ही भुगत रही है विषेशकर महिलांओं पर यह संकट बार बार मंडराता रहा है और मंडराता रहेगा.
मुल तहसील के लगभग 10 ग्रामों मे यह स्थिती बोरचांदली, फिस्कुटी,विरई,येरगांव,सिंताला,पिपरी दीक्षित,चक बेंबाल, भेजगांव,येसगांव,कवलपेठ,आदी गांवों का समावेश है. यही स्थिती तहसिल के अन्य ग्रामीन ईलाकों मे ग्रिड योजना के अंतर्गत आकापुर, चिमडा,टेकाडी सहीत 24 ग्रामों कीट यही स्थिती बनी हुई है जहां विवीध प्रकार की जल योजनाओं पर सरकार द्वारा करोडो खर्च किए जा चुके और भविष्य मे किए जाते रहेंगे भले ही जनता लाभान्वित हो या ना हों, स्टेज पर योजनांए गिनाने के लिए अच्छी हैं. लचर जल व्यवस्था के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाए ठेकेदार या संबधित प्रशासन के अधिकारीयों को ? जानकारों का कहना है के जब तक संबधित सरकारी अधिकारीयों को दंडीत करने की कारवाई अपनाई नही जाती तब तक सरकार की जनहीत में चलाई जा रही योजनाओं का यही हाल बना रहेगा.