त्यौहारों पर भी ड्युटी पर तैनात रहने वाले पुलीस वालों को मिला बहनो का प्यार .!
मुल (नासिर खान) : पुरा भारत त्यौहार मनाए और पुलिस जनता की सुरक्षा तथा कानुन व्यवस्था बनाए रखने के लिए अपनी कामगिरी पर तैनात रहे यही दिनचर्या अंग्रेजों के जमाने से आज भी जारी है .आझादी के बाद भी पुलिस के जवानों को त्यौहार अपने परिवार के साथ मनाने की आज़ादी नही है यह एक सबसे बडी शोकांतिका है जिस पर हमारी सरकार ने कभी सोचा ही नही है. ऐसे मे महीलाएं राखी ले कर पुलिस स्टेशन पहुंच जाए तो पुलिस स्टेशन मे एक अलग ही आनंद से परिपुर्ण समा बंध जाता है और कर्तव्य बजाते रातो की निंद थकान से मुरझाए थके चेहरे भी खिल उठते है तब पुलिस वालों को अंदरसे लाडली बहनो के प्रती स्नेह का उमड आना स्वाभाविक है और पुलिस वालों को को अपना भाई मान कर जब कलाईय्यों पर राखी बांधी जाती है तो पुलीस स्टेशन पुरे शहर के लिए भाई बहनो वाला हो जाना यह भी कुछ कम नही है.
यही दृश्य मुल पुलिस स्टेशन मे देखने को मिला है जब तालुका शिवसेना महिला ( शिंदे ) आघाडी की महिलाए बिना किसी आशा अपेक्षा के राखी बांधने मुल पुलिस स्टेशन पहूंच गयी और रिती रिवाज़ के अनुसार थानेदार सुमित परतेकी तथा अपने पुलीस भाईय्यों के हाथों पर शिवसेना महीला आघाडी तालुका प्रमुख सौ. भारती ताई राखडे, शहर प्रमुख सौ. अर्चना ताई सहारे, उप.शहर प्रमुख उर्मिला ताई कोहडे, तालुका संगठन का सौ.निर्मला ताई काम डी,सौ.वैशाली ताई गुरुकार,सौ भाग्यश्री ताई किराए तथा आघाडी की असंख्य महीला कार्यकर्ताओं ने राखीयां बांधकर शुभेछाएं दी. बहनों द्वारा रक्षा बंधन कार्यक्रम का आयोजन जिला महिला आघाडी प्रमुख मिनल ताई आत्राम के मार्गदर्शन मे अपनाया गया.
चंद दिनो पहले ही पालक मंत्री मुनगंटीवार ने घर जाकर मुलाकात की थीऔर धिरज बंधाया था .. मुल न.प.के पुर्व नगराध्यक्ष वासुदेव पाटील लोनबले का निधन .!
मुल : मुल नगर परिषद के पुर्व नगराध्यक्षपद,ग्राम पंचायत मुल के पुर्व सरपंच तथा कृषी उपज मंडी के पुर्व संचालक रहे वासुदेवराव पाटील लोनबले का दि 26 आगष्ट की रात्री हें दुखद निधन हो गया वे लंबे समय से बिमार चल रहे थे. हाल ही मे पालक मंत्री सुधिर मुनगंटीवार ने उनसे घर जाकर मुलाकात की थी उनसे तबियत के बारे मे पुछताछ कर धिरज बंधाया था. माली समाज महासंघ के विभिन्न पदो पर रह कर उन्होने जो समाज कार्य किए हैं वह हमेशा अविस्मर्णिय रहेंगे. लोनबले का अंतिम संस्कार स्थानिय उमा नदी के शमशानभुमी में किया गया. अंतिमक्रिया के समय चाहने वालों का अमाप जन सैलाब उमड़ा था जिसे देख कहा जाने लगा के मरणोपरांत ही समझ मे आता है के आदमी कितनी बुलंदी पर था.