एक तप के बाद हुआ स्कूल जीवन का पुनर्मिलन .!

चंद्रपुर (वि.प्र.) : स्कूल जीवन के दौरान एक सदी की साक्षी रही न्यू इंग्लिश हाई स्कूल, चंद्रपुर की सन् 1998-1999 की बैच (मिलेनियम स्टूडेंट्स) के विद्यार्थी आज 25 वर्षों बाद एक बार फिर एकत्रित हुए। संयोग ऐसा रहा कि इन 25 वर्षों की अवधि में ये सभी स्कूल मित्र एक और पीढ़ी के साक्षी बन चुके हैं।
2025 की शुरुआत में, यानी बीटा युग की शुरुआत के समय, भारत के विभिन्न हिस्सों में फैले, विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत और व्यापार में व्यस्त ये छात्र अपने व्यस्त जीवन से समय निकालकर अपने स्कूल जीवन की मधुर यादों को ताज़ा करने के लिए व्हाट्सऐप के माध्यम से फिर से जुड़ गए।
शुरुआत में कम सदस्यों वाले इस ग्रुप को सुहास चल्लीरवार और रूपा सुभे ने मिलकर अपने स्कूल के दोस्तों की खोज करते हुए लगभग 35 छात्रों को इस ग्रुप से जोड़ा और पुनर्मिलन की तारीख तय की।
निर्धारित तिथि के अनुसार, सभी विद्यार्थी 17 मई 2025 को स्कूल में एकत्रित हुए। 16 मई को की गई पूर्व तैयारी में बारिश ने बाधा डाली, फिर भी अपने स्कूल जीवन की यादों को फिर से जीने की जिद ने सभी तैयारियां समय पर पूरी करवा दीं। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में नीरज वर्मा और सुशांत निमगडे ने विशेष प्रयास किए।
कार्यक्रम की शुरुआत सभी गुरुओं का कुमकुम, कमल पुष्प और पुष्पवर्षा से स्वागत कर की गई। इसके बाद राष्ट्रगान के साथ इस यादगार पुनर्मिलन की शुरुआत हुई। फिर सभी छात्र अपने-अपने पुराने क्लासरूम में जाकर अपनी-अपनी बेंच पर बैठे।
इसके बाद पहली क्लास टीचर सौ. क्रांति दहीवळे का कक्षा में स्वागत किया गया। उन्होंने उपस्थित छात्रों की उपस्थिति दर्ज की और देर से आने वालों को प्रतीकात्मक सज़ा भी दी गई।
इसके बाद अन्य शिक्षकों का भी स्वागत किया गया, जिनमें श्री. गोविंद किंगावकर सर, सौ. शोभा श्रीरामे मैडम, श्री. ज्ञानेश्वर चिमूरकर सर, श्री. बबन राऊत सर, वर्तमान मुख्याध्यापिका सौ. संगीता बैद मैडम, शिक्षिका सौ. कुमुद धोटेकर, सौ. अनीता अमृतकर और श्री. अजय अलगमकर प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
सभी पूर्व शिक्षकों को छात्रों की ओर से उनके प्रति प्रेम, श्रद्धा और आदर भाव प्रकट करते हुए, उनकी तस्वीरों और प्रेरणात्मक शब्दों के साथ बांस की फ्रेम, शाल और श्रीफल भेंट किए गए।
गुरुजनों के स्वागत के बाद दीप प्रज्वलन के साथ मुख्य कार्यक्रम की शुरुआत हुई। फिर दिवंगत शिक्षकों और सहपाठियों को दो मिनट का मौन रख श्रद्धांजलि दी गई।
इसके बाद सभी विद्यार्थियों ने अपनी वर्तमान स्थिति और कार्यक्षेत्र की जानकारी दी। दसवीं के बाद अलग-अलग स्थानों पर पढ़ाई पूरी कर आज वे डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, पुलिसकर्मी, बैंक कर्मचारी, सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल या खुद का व्यवसाय शुरू कर जीवन में एक मुकाम हासिल कर चुके हैं।
इसके पश्चात उपस्थित गुरुजनों ने स्कूल, छात्र जीवन और जीवन मूल्यों पर मार्गदर्शन दिया और विद्यार्थियों की सफलता पर प्रसन्नता जताते हुए उन्हें भविष्य में भी ऐसे ही प्रगति करते रहने का आशीर्वाद दिया।
फिर कई विद्यार्थियों ने अपने स्कूल जीवन की पुरानी यादों को, शिक्षकों की शिक्षा, उनकी पसंद-नापसंद को याद करते हुए भावनात्मक लम्हे साझा किए। इस दौरान कई शिक्षक और विद्यार्थी भावुक होकर आंखों में खुशी के आंसू लिए अपनी भावनाओं को व्यक्त करते दिखे।
गुरुजनों ने भी अपने विद्यार्थियों को उपहार देकर इस सुंदर आयोजन की सराहना की और स्कूल के लिए निरंतर सहयोग देने की अपील की।
सभी विद्यार्थियों ने इस आह्वान का उत्तर देते हुए वादा किया कि जब भी स्कूल को उनकी आवश्यकता होगी, वे तन-मन-धन से मदद करने को तैयार रहेंगे।
कार्यक्रम का समापन 25 वर्षों की स्मृतियों के प्रतीक 25 वर्ष का केक काटकर और सहभोज के साथ किया गया। इस भोज में सभी शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मचारी, विद्यार्थी और उनके परिवारों ने सहभाग लिया।
कार्यक्रम की प्रस्तावना सुषमा करवटकर ने की और संचालन शालिनी नगराळे ने किया।
मुख्याध्यापिका सौ. संगीता बैद द्वारा इस कार्यक्रम के लिए दी गई सहायता हेतु प्रगती लाऊतरे ने आभार व्यक्त किया।
यह संपूर्ण कार्यक्रम सभी विद्यार्थियों, शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए अत्यंत भावनात्मक और आनंददायक रहा। अंत में हर एक व्यक्ति अपने मन में स्कूल जीवन की मीठी यादें संजोए घर लौट गया।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में नीरज वर्मा, सुशांत निमगडे, सुहास चल्लीरवार, विशाल मून, रूपा सुभे, सुषमा करवटकर, जागृती लाऊतरे, शालिनी नगराळे, आस्मा शेख, प्रीतम नागापुरे, प्रीती बागडे, प्रफुल काठोके, प्रशांत सोनटक्के, प्रमोद गौरकार और बालू फुलझेले ने विशेष मेहनत की।

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