नगर परिषद चुनाव में लोकतंत्र की कड़वी सच्चाई उजागर .. मतदान के दिन बुनियादी मुद्दों से ज्यादा नोटों की गूंज .!
बल्लारपुर (का.प्र.) : हाल ही में संपन्न नगर परिषद चुनाव ने लोकतंत्र के एक चिंताजनक पहलू को उजागर कर दिया है। जनता ने अपने मतदान व्यवहार से यह साबित कर दिया कि नगर के विकास, मूलभूत सुविधाएं, साफ-सफाई, पानी, सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मुद्दे अब प्राथमिकता की सूची में पीछे छूटते जा रहे हैं। इसके विपरीत, चुनाव में पैसे और तात्कालिक लाभ का बोलबाला साफ तौर पर देखने को मिला।
चुनाव के दौरान यह आम चर्चा का विषय बना रहा कि मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग विकास के वादों या जनहित के मुद्दों से अधिक, नकद राशि, भोजन अथवा अन्य लालच के प्रभाव में मतदान करता नजर आया। “एक रोटी, एक बोटी और कुछ रुपयों” के बदले मतदान अधिकार सौंपने की प्रवृत्ति ने लोकतांत्रिक मूल्यों पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह चुनाव अब जनसेवा से हटकर केवल सेठ-साहूकारों और धनवान व्यक्तियों की प्रतिस्पर्धा बनकर रह गया है। जिन उम्मीदवारों के पास अपार धनबल है, वही चुनावी मैदान में मजबूत दिखाई दे रहे हैं, जबकि आम, ईमानदार और मुद्दों की राजनीति करने वाले प्रत्याशी पीछे छूटते जा रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह स्थिति केवल उम्मीदवारों की नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक सोच की भी सच्चाई बयान करती है। जब मतदाता अपने अधिकार को तात्कालिक लाभ के बदले गिरवी रख देता है, तब आने वाले पांच वर्षों में मूलभूत सुविधाओं की कमी पर सवाल उठाने का नैतिक अधिकार भी कमजोर पड़ जाता है।
चुनाव के बाद नगर में यह चर्चा जोरों पर है कि यदि यही सिलसिला चलता रहा, तो लोकतंत्र केवल वोट खरीदने और बेचने का माध्यम बनकर रह जाएगा। जागरूक नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने मतदाताओं से अपील की है कि वे अपने मत की कीमत समझें और विकास, पारदर्शिता व ईमानदारी को प्राथमिकता दें, ताकि नगर का भविष्य कुछ नोटों की भेंट न चढ़ जाए।
