बल्लारपुर (का.प्र.) - मित्रों आज की आधुनिक दुनिया में शिक्षण क्षेत्र की हालत बहुत ही गंभीर है और आज शिक्षण को व्यवसाय समझ कर देखा जा रहा है,जहा चंद पैसों का Investment कर करोड़ों कमाने की होड़ लगी है। वहीं विद्यार्थीयों को आज ग्राहक समझा जा रहा है। इसलिए जैसे एक व्यवसायिक प्रोडक्ट को पहचान दिलाने सेल्स मैन की जरूरत होती है उसी तरह ट्यूशन क्लास को चलाने घर घर कॉउंसिलर भेजे जाते है। बड़े बड़े पोस्टर लगाए जाते है। क्या आपको पता है जिस नोटस से आपको पढ़ाया जाता है, वो नोटस बाजार मे रु 500 से 1,000 के अंदर मिलती है। उस नोटस से पढ़ाने आप से लाखों रुपये ठगे जाते है। बहुत सी ट्यूशन क्लासेस कहती है हम डेली,विकली,मंथली टेस्ट लेंगे परंतु वास्तविकता मे ऐसा होता नही है। चकाचक रूम एक प्रोजेक्टर और कुछ कॉपी पेस्ट रेडीमेड नोटस को देख विद्यार्थी व उनके माता पिता ट्यूशन क्लास के लिए आकर्षित होते है। वास्तविक रूप से देखा जाए तो आप यदि किसी स्कूल कॉलेज मे एडमिशन न करे तो आपको बोर्ड की परीक्षा भी देते नही आएंगी क्योंकि बोर्ड का फॉर्म भरने की अथोरिटी शासन ने स्कूल कॉलेज को ही दी है, इतना ही नही आपकी प्रेजेंटी,आपके Practical मार्क भी स्कूल कॉलेज से जाते है। आपके डोक्यूमेंट मे कुछ कम ज्यादा हो जाए तो वह भी स्कूल कॉलेज मे ही सुधारे जाते है। फिर भी हम महत्व ट्यूशन क्लासेस को देते है, शायद आप सभी को ज्ञात होंगा सरकारी स्कूल मे शिक्षक बनने बहुत से कोर्स करने होते है बहुत से शासकीय Exam पास करनी होती है, तब शिक्षक की नौकरी लगती है। परंतु ट्यूशन क्लास में ऐसी कोई शर्त नही होती पूरे भारत मे जिन्होंने अपना Education पूरा नही किया वे भी रेडीमेड नोटस के भरोसे ट्यूशन क्लासेस चला रहे है। इसलिए प्रिय विद्यार्थी मित्रों ट्यूशन क्लास सोच समझकर जॉइन करे हो सके तो छोटी ही ट्यूशन लगाए दिखावे की चकाचोन्द से बचे।
लेख - (प्रा.राहुल जी.गौर) M.Com,M.ed,M.phil in Commerce from Nagpur university Maharashtra
सामाजिक कार्यकर्ता, समाजसेवा के लिए रहिकवार फिल्म्स एंड इंटरटेनमेंट द्वारा महाराष्ट्र आईकोन अवार्ड से सम्मानित!
समाजसेवा के लिए अखिल भारतीय मानव विकास परिषद महाराष्ट्र मुंबई द्वारा महाराष्ट्र गौरव अवार्ड से सम्मानित!
समाजसेवा के लिए राष्ट्रीय फ्रेंडशिप ग्रुप दिल्ली द्वारा राष्ट्रीय गौरव अवार्ड के लिए नामांकित..!