क्या सरकार को मुल में बडे जानलेवा हादसे का ईंतेज़ार है .!

 

मुल पोस्ट आफीस की जर्ज़र र्ईमारत कभी भी ढह सकती है .!

मुल (नासिर खान) : मुल मे लगभग सभी सरकारी कार्यालय तोडकर नये सिरे से नयी इमारतें बनाई गयी है. छत्रपती शिवाजी महाराज व्यापारी संकुल, क्रिडा संकुल,कन्नमवार भवन, बस स्थानक,पंचायत समिती,तहसिल कार्यालय, न्याय मंदीर,नगर परिषद,अस्पताल,सब्जि,मटन मार्केट और अन्य इमारतों पर जनता बनाम सरकार का अब्जो रुपया खर्च कर नया स्वरूप प्रदान किया गया लेकीन बदनसीब है वह मुल पोस्ट आफिस जिसकी पुरानी ईमारत जो बाहर से देखने मे युवा लगती लेकीन अंदर से खोकला और जर्ज़र होती दिखाई दे रही है जो छत के साथ कभी भी धराशायी हो सकती है जिसमे कर्मचारीयों के साथ साथ उपभोगताओं की भी जान जा सकती है.
जिसे भी देखना है तो पोस्ट आफिस जाकर नज़र उपर उठा कर देखे तो पता चलेगा के पोस्ट आफीस की ईमारत ईसी बरसात में धराशायी हो सकती है.ईस ईमारत मे कार्यरत कर्मचारी किस तरह डर के साए में काम करते होंगेऔर जब शाम सही सलामत घर पहूंचते होंगे तो ईश्वर का शुक्र अवश्य मनाते होंगे.
पोस्ट आफिस‌ यह केंद्र सरकार के अधिन होता है शायद ईसीलिए उस ओर ध्यान नही दिया गया, और विधायक निधी से यह ईमारत नही बन पायी है लेकीन ईस ईमारत मे काम करने वाले कर्मचारी आने वाले उपभोगता तो इंसान ही होते है, कोई अनहोनी हो जाए तो हादसे का शिकार ईंसान ही होंगे.विधायक निधी से ना सही सांसद निधी से तो पोस्ट आफीस की नयी ईमारत बनाई जानी चाहीए. शहर की मामुली से मामुली पथ संस्थाओं के कार्यालय देखो कितने पाश और ए सी मय दिखायी देते है और पोस्ट आफीस जैसी सेंट्रल की सरकारी संस्था की ईमारतो को देखकर ऐसा प्रतीत होता है के उनके साथ इंसाफ आज तक नही हुवा है.तहसिल स्तर ग्रामिण स्तर पर पोस्ट आफीस अन्याय का शिकार बने हुए है . प्रतिभा धानोरकर अथवा सुधिर मुनगंटीवार अगर सांसदीय क्षेत्र से चुनकर आते है तो ईन्हे प्रथम अपने सांसदीय क्षेत्र के पोस्ट आफिस की ईमारतों की ओर ध्यान दिया जाना चाहीए.

Post a Comment

Previous Post Next Post
clipboard.