मूल (वि.प्र.) : सोमनाथ रोड मूल स्थित खेत मे मकडी के जाल की तरह फैले बिजली के तारो को महावितरण के अधिकारियो ने बगैर डिमांड खेत मालिकों से रुपया ना जमा करवाते हुवे महावितरण की तिजोरी को चुना लगा कर बिजली के तारों का जाल हटवा दिया ?
अब इस खेत मे सिर्फ बिजली के तारो के खंबे खडे है ! जबकी बिजली के तारों का जाल हटवाने खेत मालिक को 25 से 30 (पच्चिस से तीस) लाख रुपयों का डिमांड भरना अनिवार्य होता है।
बता दे कि, पहले यह खेत चंद्रशेखर दत्तात्रय धर्माधिकारी और लक्ष्मीकांत दत्तात्रय धर्माधिकारी बंधुओं का हुआ करता था। जिनसे मूल निवासी एक व्यापारी ने खरीद लिया।
जब धर्माधिकारी बंधुओं के मालिकाना हक मे यह खेत था तब यह खेत ग्रीन बेल्ट में हुआ करता था। इस खेत के अगल बगल में दूर-दूर तक किसी के भी खेत येलो बेल्ट में नही है।
लेकिन खरीदार व्यापारी एवं उसके नजदीकी दोस्त के तीन तिकडम से मूल नगर परिषद के पूर्व प्रशाषक ने आनन फानन में इस खेत को ग्रीन बेल्ट से येलो बेल्ट में परिवर्तित कर दिया। याने उस खेती की जमीन को रहिवासी निवास की जगह में इस्तेमाल करने हेतु फेरफार पूरी तरह से नियमबाह्य तरीके से कर दिया गया है।
इस संदर्भ में महावितरण मूल कार्यालय के कथित अधिकारियों से पूछताछ पर उन्होंने चंद्रपुर के कार्यकारी अभियंता के कार्यालय की ओर उंगली उठाकर सीधा उन्ही पर दोषारोपण करते हुए कहा कि, हमने उनके आदेश से बिजली के तार उस खेत से हटाए थे।
यहां प्रश्नांकित होता है कि, आखिर कौन है वो मास्टरमाइंड जिसके चलते यह खेल खेला गया?
इस प्रकरण की गंभीरतापूर्वक जाँच होनी चाहिये और दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही होनी चाहिये! ऐसी चर्चा ने मूल निवासियों में जन्म लिया है।
ज्ञात हो इस उपर्युक्त न्यूज को एक पोर्टल द्वारा 7 अक्टूबर को प्रकाशित कर वायरल भी किया गया था, किंतु तब भी संबंधित अधिकारियों की कान में जूं तक नहीं रेंगी? आखिर क्यों??
महावितरण के बिजली तारों को खेत से नियमबाह्य तरीके से हटवा देना ठीक उसी प्रकार महावितरण के भ्र्ष्टाचार के गर्त में डूबे अधिकारियों पर और खेत को ग्रीन बेल्ट से येलो बेल्ट में फेरफार करने की हेराफेरी के मामले में लिप्त उन तमाम संबंधित व्यक्तियों पर अपराध दर्ज हो, ऐसी प्रतिक्रिया मूल शहर के प्रतिष्ठित जेष्ठ पत्रकार श्री अशरफ मिस्त्री द्वारा व्यक्त कर शासन से गुहार लगाई जा रही है।