बल्लारपुर (का.प्र.) : एक ओर जहां सरकार "पेड़ लगाओ, पेड़ बचाओ" के नारे देती है और पेड़ लगाने की भाषा करती है, वहीं दूसरी ओर रेलवे विभाग विकास के नाम पर जीवित पेड़ों को काट रहा है। बलारपुर शहर के गोल पुलिया क्षेत्र में एक 100 वर्ष पुराना पीपल का पेड़ था, जिसने सड़क पर चलने वाले लोगों को तीव्र धूप और बारिश से बचाया। वही पेड़ काट दिया गया है। इस मामले को लेकर नागरिकों ने सवाल उठाए हैं। इस विशाल वृक्ष के नीचे जूस सेंटर, पान स्टॉल, फल दुकान और सब्जी की दुकानें लगती थीं।
साथ ही, इस पेड़ की छांव में लोग विश्राम करते थे। लेकिन रविवार, 23 फरवरी को रेलवे विभाग ने विकास के नाम पर इस 100 वर्ष पुराने पीपल के पेड़ को काट दिया। इस पेड़ को काटने के बारे में शहर प्रशासन, तालुका प्रशासन और रेलवे प्रशासन चुप्प हैं।
पर्यावरण वाहिनी के अध्यक्ष मोहम्मद शरीफ, कोषाध्यक्ष मनोहर माडेकर, सदस्य राजेंद्र खाड़े, वंचित बहुजन आघाड़ी के शहर अध्यक्ष उमेश कडू, और सामाजिक कार्यकर्ता नसीर बक्स (भुरू भाई) ने ठेकेदार से पेड़ काटने की अनुमति दिखाने की मांग की, लेकिन ठेकेदार ने पुरानी अनुमति दिखाई। मध्य रेलवे के सहायक विभागीय अभियंता से मुलाकात करने पर वे बात करने में कतराते रहे। हालांकि, पर्यावरण वाहिनी के सदस्यों ने इस पर कार्रवाई की बात की तो उन्होंने बताया कि पेड़ काटने के लिए कोई अनुमति नहीं है। पर्यावरण वाहिनी ने इस घटना की निंदा की है और शहर प्रशासन, तालुका प्रशासन और रेलवे प्रशासन के अधिकारियों से मिलकर इस मामले की शिकायत करने की योजना बनाई है।