लोककलावंतों की आर्थिक स्थिति संकटपूर्ण - बाबा पाटील

महामंडल की स्थापना के लिए मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री से अपील .!

पुणे (वि.प्र.) : एक ओर जहां लोककला विभिन्न माध्यमों से फिर से प्रकाश में आ रही है, वहीं पारंपरिक लोककलावंतों की आर्थिक स्थिति बेहद कठिन हो गई है। लोककला के प्रस्तुतिकरण से जीवन यापन न हो पाने के कारण इन कलाकारों के लिए आर्थिक विकास महामंडल की स्थापना की मांग की गई है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सांस्कृतिक विभाग के प्रदेश अध्यक्ष बाबा पाटील ने इस संबंध में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और सांस्कृतिक मंत्री को पत्र भेजा है। लोककलावंतों के लिए इस आर्थिक विकास महामंडल के लिए कम से कम 100 करोड़ रुपये की आर्थिक व्यवस्था की जाए, साथ ही इस महामंडल का नाम विठाबाई नारायणगावकर के नाम पर रखा जाए, ऐसी मांग इस पत्र में की गई है।
राज्य में तमाशा, प्रहसन, संगीतकारी, वासुदेव, पोतराज, जागरण, गोधळ, सोंगाडे, बहुरूपी, शाहिरी, दशावतार जैसी अनेक पारंपरिक लोककलाएं हैं। अधिकांश कलाकार इन पारंपरिक लोककलाओं पर निर्भर हैं। हालांकि पिछले कुछ वर्षों से लोककला कार्यक्रमों की संख्या घट गई है, और केवल कला से अपना और परिवार का जीवन यापन करना इन कलाकारों के लिए संभव नहीं हो पा रहा है। कई बार तो उन्हें बुनियादी आवश्यकताओं जैसे भोजन, वस्त्र और आवास के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है, जिससे महामंडल की आवश्यकता महसूस की गई है।
"एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री होने के दौरान राज्य में विभिन्न जातियों और वर्गों के लिए आर्थिक विकास महामंडल स्थापित किए गए थे। राज्य में इतने बड़े पैमाने पर लोककलावंत होने के बावजूद उनके लिए अब तक कोई महामंडल नहीं है, यह एक बड़ी दुखद स्थिति है। इसलिए सरकार से लोककलावंतों के लिए महामंडल की स्थापना करने और इसके लिए 100 करोड़ रुपये की आर्थिक व्यवस्था करने की मांग करना अत्यंत महत्वपूर्ण और उचित है। इस मांग को जल्द से जल्द मंजूरी मिलनी चाहिए, ताकि महाराष्ट्र के लोककलावंतों को राहत मिल सके," बाबा पाटील ने कहा।

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