भारत में दीपावली का पर्व पाँच दिनों तक मनाया जाता है। इनमें से चौथा दिन गोवर्धन पूजा के नाम से जाना जाता है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण और प्रकृति की उपासना से जुड़ा हुआ है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट या अन्नकूट महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के साथ-साथ गोवर्धन पर्वत, गायों तथा प्रकृति के तत्वों का सम्मान किया जाता है।
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🌿 गोवर्धन पूजा का इतिहास और धार्मिक महत्व :
गोवर्धन पूजा की कथा श्रीमद्भागवत पुराण में वर्णित है। द्वापर युग में जब भगवान श्रीकृष्ण गोकुल में निवास करते थे, तब लोग इंद्र देव की पूजा कर वर्षा की कृपा पाने की परंपरा निभाते थे। परंतु श्रीकृष्ण ने लोगों से कहा कि वर्षा तो इंद्र नहीं, बल्कि प्रकृति और गोवर्धन पर्वत की कृपा से होती है, क्योंकि वही जल, अन्न और चारा प्रदान करते हैं।
लोगों ने श्रीकृष्ण की बात मानकर गोवर्धन पर्वत की पूजा की। इससे क्रोधित होकर इंद्र देव ने भारी वर्षा कर दी, लेकिन श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर सभी ग्वालों और पशुओं को सात दिन तक सुरक्षित रखा। अंततः इंद्र ने अपनी गलती स्वीकार की। तभी से इस दिन को गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है।
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🪔 पूजा विधि :
गोवर्धन पूजा के दिन लोग गोबर से गोवर्धन पर्वत का चित्र या प्रतिरूप बनाते हैं। उसके चारों ओर गाय, बछड़े, वृक्ष, तालाब आदि बनाए जाते हैं। फिर भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन की पूजा की जाती है। पूजा में दूध, दही, मक्खन, मिठाई, और अन्नकूट (विभिन्न प्रकार के भोजन) का भोग लगाया जाता है।
सुबह स्नान के बाद गोवर्धन पर्वत का निर्माण किया जाता है।
घर में अन्नकूट तैयार किया जाता है, जिसमें अनेक प्रकार के व्यंजन होते हैं।
लोग ‘गोवर्धन जी की जय’ और ‘श्रीकृष्ण गोवर्धनधारी की जय’ के जयघोष करते हैं।
कई जगहों पर गायों की विशेष पूजा भी की जाती है।
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🌾 अन्नकूट का महत्व :
अन्नकूट का अर्थ है – अन्न का पर्वत। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को अनेक प्रकार के पकवानों का भोग लगाया जाता है, जिसे बाद में प्रसाद के रूप में सभी भक्तों में बाँटा जाता है। यह हमें यह संदेश देता है कि प्रकृति से प्राप्त अन्न का सम्मान करें और सबके साथ बाँटकर खाएँ।
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🌍 गोवर्धन पूजा का सामाजिक और पर्यावरणीय संदेश :
गोवर्धन पूजा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है। यह पर्व हमें सिखाता है कि —
प्रकृति, पशु-पक्षी और पर्वत हमारे जीवन का आधार हैं।
हमें अन्न, जल, भूमि और पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए।
अहंकार नहीं, विनम्रता और कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए।
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🌸 गोवर्धन पूजा का पर्व हमें यह सिखाता है कि मनुष्य और प्रकृति का संबंध अटूट है। भगवान श्रीकृष्ण के मार्गदर्शन में यह पर्व हमें पर्यावरण के सम्मान, अन्न की महत्ता, और सामूहिक सद्भावना का संदेश देता है। गोवर्धन पूजा वास्तव में प्रकृति, श्रद्धा और समर्पण का अद्भुत उत्सव है।




