दीपावली पर्व का महत्व .!

दीपावली या दीवाली भारत का सबसे प्रमुख और पवित्र त्योहार है, जिसे “प्रकाश का पर्व” कहा जाता है। यह पर्व अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। दीपावली का उत्सव हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। यह पर्व केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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🌸 दीपावली का ऐतिहासिक महत्व :

दीपावली का इतिहास अत्यंत प्राचीन है और विभिन्न धर्मों में इसके अलग-अलग प्रसंग मिलते हैं:

1. हिंदू परंपरा अनुसार:
भगवान श्रीराम जब रावण का वध कर 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे, तब अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में दीप जलाए। उसी दिन से दीप जलाने की यह परंपरा आरंभ हुई। यह प्रसंग दीपावली के प्रमुख कारणों में से एक है।

2. महाभारत काल में:
माना जाता है कि पांडवों के वनवास समाप्त होने पर उनके लौटने की खुशी में लोगों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था।

3. भगवान विष्णु और लक्ष्मी कथा:
इस दिन भगवान विष्णु ने बलि राजा को पाताल लोक में भेजकर देवी लक्ष्मी को मुक्त कराया था। इसलिए इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है।

4. जैन धर्म में:
दीपावली के दिन ही भगवान महावीर ने निर्वाण (मोक्ष) प्राप्त किया था, इसलिए यह दिन जैन धर्मावलंबियों के लिए अत्यंत पवित्र है।

5. सिख धर्म में:
इसी दिन गुरु हरगोविंद जी को ग्वालियर किले से रिहा किया गया था, इसलिए सिख समुदाय इसे “बंदी छोड़ दिवस” के रूप में मनाता है।


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🪔 धार्मिक महत्व :

दीपावली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि यह आत्मिक शुद्धि और आध्यात्मिक जागरण का प्रतीक है।
इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
माता लक्ष्मी से धन, समृद्धि और सुख की कामना की जाती है।
भगवान गणेश को बुद्धि, विवेक और शुभारंभ का देवता माना जाता है।
दीपावली की रात को पूजा, दीपदान और मंत्रोच्चारण से घर में सकारात्मक ऊर्जा और शांति का संचार होता है।


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🌺 सांस्कृतिक एवं सामाजिक महत्व :

दीपावली एकता, प्रेम और भाईचारे का संदेश देती है। इस दिन लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, दीप सजाते हैं, मिठाइयाँ बाँटते हैं और अपने मित्रों-परिजनों से मिलते हैं। यह पर्व सामाजिक सद्भाव और सहयोग की भावना को मजबूत करता है।
लोग नए वस्त्र, नया सामान खरीदते हैं, व्यापारी वर्ग के लिए यह नया वित्तीय वर्ष भी होता है।
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💰 आर्थिक महत्व :

दीपावली के समय बाजारों में रौनक छा जाती है। व्यापारी वर्ग के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण मौसम होता है। नए खातों की शुरुआत “छोटा खाता-बही पूजन” के रूप में की जाती है।
कृषि समाज के लिए भी यह फसल कटाई और समृद्धि का प्रतीक पर्व है। यह उपभोक्ता और उत्पादन दोनों को प्रोत्साहन देता है।

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🌼 पर्यावरणीय एवं आध्यात्मिक संदेश :

दीपावली केवल बाहरी प्रकाश का नहीं, बल्कि मन के अंधकार को मिटाने का भी प्रतीक है।
यह हमें सिखाती है कि—
“जैसे दीप अपने प्रकाश से अंधकार को दूर करता है, वैसे ही मनुष्य को अपने भीतर के अंधकार—लोभ, क्रोध, ईर्ष्या और अहंकार—को दूर करना चाहिए।”
आज के समय में दीपावली को पर्यावरण-संवेदनशील तरीके से मनाना भी आवश्यक है—कम प्रदूषण, मिट्टी के दीये, स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग और आपसी सद्भाव का प्रसार ही इसका असली अर्थ है।
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दीपावली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि जीवन में प्रकाश, आशा, और नई शुरुआत का प्रतीक है। यह हमें याद दिलाती है कि अंधकार चाहे कितना भी गहरा क्यों न हो, एक छोटा दीपक भी उसे मिटा सकता है।
इसलिए दीपावली मनाना केवल परंपरा नहीं, बल्कि अंधकार से उजाले की ओर बढ़ने की प्रेरणा है।



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