जाति प्रमाणपत्र के लिए विद्यार्थि हुए परेशान .!

पोंभुर्णा (वि.प्र.) : आदिवासी बहुल क्षेत्र पोंभुर्णा तालुका के विद्यार्थियों को जाति प्रमाणपत्र के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। खास तौर पर जाति प्रमाणपत्र और अन्य आवश्यक दस्तावेज़ प्राप्त करने के लिए विद्यार्थियों को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है, जिससे उनके शैक्षणिक नुकसान की संभावना भी प्रबल हो गई है। विद्यार्थियों के जाति प्रमाणपत्र और नॉन-क्रीमीलेयर के कई मामलों की फाइलें उपविभागीय कार्यालय में लंबित पड़ी हैं।

पोंभुर्णा तालुका के विद्यार्थियों के करीब 250 जाति प्रमाणपत्र और 150 नॉन-क्रीमीलेयर के मामले राजूरा स्थित उपविभागीय अधिकारी के कार्यालय में लंबित होने की जानकारी सामने आई है। इसके कारण विद्यार्थियों और नागरिकों के कार्य अटक गए हैं। ये लंबित कार्य तुरंत निपटाए जाएँ, इसके लिए गोंडपिपरी में उपविभागीय अधिकारी की त्वरित नियुक्ति की माँग की जा रही है।

इस समय शैक्षणिक कार्य शुरू हैं और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए जाति प्रमाणपत्र तथा अन्य दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान किया जाए, ऐसी माँग विद्यार्थियों द्वारा की जा रही है।
चूँकि यह मामले अधिकारी की टेबल पर लंबित हैं, इसलिए शैक्षणिक कार्य समय पर पूरे नहीं हो पा रहे हैं और विद्यार्थियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
उपविभागीय अधिकारी राजस्व विभाग का एक महत्वपूर्ण पद होता है। उनके अधिकार क्षेत्र में कई प्रशासनिक और न्यायिक कार्य आते हैं। गोंडपिपरी और पोंभुर्णा तालुका के लिए गोंडपिपरी में उपविभागीय अधिकारी का कार्यालय है, लेकिन वहाँ अधिकारी की नियुक्ति नहीं होने के कारण यह कार्यभार राजूरा के उपविभागीय अधिकारी को सौंपा गया है। राजूरा के उपविभागीय अधिकारी के पास पहले से ही पाँच तालुकों का कार्यभार है, जिससे विद्यार्थियों के जाति प्रमाणपत्र, नॉन-क्रीमीलेयर और अन्य आवश्यक दस्तावेजों के मामले लंबित हो गए हैं।

250 जाति प्रमाणपत्र और 150 नॉन-क्रीमीलेयर के मामले अभी भी पेंडिंग हैं। गोंडपिपरी का प्रभार राजूरा उपविभागीय अधिकारी के पास है, जिससे दस्तावेज़ मिलने में देरी हो रही है।

इस समय कॉलेज और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्रक्रिया चल रही है। विद्यार्थी विभिन्न विश्वविद्यालयों के लिए आवश्यक दस्तावेज़ निकालने का कार्य कर रहे हैं। ऐसे में अगर हर दस्तावेज़ निकालने में इतना समय लगने लगे, तो क्या किया जाए – ऐसा सवाल विद्यार्थियों को परेशान कर रहा है।
प्रवेश में कोई बाधा न आए, इस डर के चलते अभिभावक भी मांग कर रहे हैं कि शैक्षणिक दस्तावेज़ों का काम तुरंत निपटाया जाए।

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