बल्लारपुर नगर परिषद चुनावी समर में सभी प्रादेशिक पार्टियां मैदान में — जनता अब ‘वोट के मायाजाल’ को समझने लगी है !
बल्लारपुर (का.प्र.) : नगर परिषद चुनाव नजदीक आते ही बल्लारपुर का राजनीतिक तापमान चरम पर पहुंच चुका है। सभी प्रादेशिक पार्टियां — चाहे वे सत्ता में हों या विपक्ष में — जनता को लुभाने के लिए हर संभव कोशिश में जुट गई हैं। घोषणाओं, जनसंपर्कों और सभाओं का दौर जोरों पर है, पर जनता के मन में एक ही सवाल उठ रहा है — “आख़िर बीते वर्षों में जनता के हित में हुआ क्या?”
जनता का कहना है कि अब तक किसी भी पार्टी ने धरातल पर ऐसा कोई ठोस कार्य नहीं किया जिससे आम नागरिकों के जीवन में सुधार आया हो। सड़कें टूटी पड़ी हैं, नालियां जाम हैं, पेयजल समस्या बरकरार है, और बेरोजगारी का मुद्दा आज भी जस का तस है। फिर भी, हर चुनाव में वही वादे, वही चेहरे और वही भाषण दोहराए जा रहे हैं।
राजनीतिक दलों की रणनीति अब मतदाताओं को तरह-तरह के प्रलोभनों के माध्यम से प्रभावित करने की है। कहीं राशन कार्ड और विकास योजनाओं के नाम पर वोट माँगे जा रहे हैं, तो कहीं जातीय समीकरणों का सहारा लिया जा रहा है। चुनावी मैदान में जनता को फिर से गुमराह करने का ‘मायाजाल’ फैलाया जा रहा है।
वहीं दूसरी ओर, जनता अब पहले जैसी नहीं रही। वह सब कुछ अपनी खुली आंखों से देख रही है। मोहल्लों, गलियों और चौराहों पर चर्चाओं का माहौल गर्म है, लेकिन जनता इस बार खामोश है — क्योंकि उसे पता है कि उसका एक वोट ही असली फैसला करेगा।
बल्लारपुर की सियासत में इस बार जनता का मूड सबसे बड़ा रहस्य बना हुआ है। राजनीतिक दलों की गतिविधियों पर जनता की नजर तो है ही, पर इस बार जनता की खामोशी भी बहुत कुछ कह रही है।
अब देखना यह होगा कि जनता इस बार किसे चुनेगी — वादों को, या अपने अनुभवों को।
