बल्लारपुर (का.प्र.) : नगर परिषद चुनाव जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, राजनीतिक सरगर्मी अपने चरम पर है। भाजपा, कांग्रेस और अन्य प्रादेशिक दलों में टिकट बंटवारे से लेकर प्रचार रणनीति तक मंथन जारी है। मगर इस पूरे माहौल में एक अहम तथ्य को दल मानो भूल बैठे हैं। नगर परिषद का यह चुनाव किसी पार्टी के सिम्बोल पर आधारित नहीं बल्कि व्यक्तिगत विकास, कार्यक्षमता और जनता से जुड़ाव पर आधारित चुनाव है।
प्रत्येक पार्टी अपने-अपने स्तर पर दावा कर रही है कि उसकी 80 प्रतिशत से अधिक सीटों पर जीत तय है। नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप और दावा-प्रतिदावा का सिलसिला लगातार जारी है। वहीं, जनमानस में भ्रम फैलाने और दिशा भटकाने की कोशिशें भी राजनीतिक दलों में तेज़ हो चली हैं। विभिन्न दलों के कार्यकर्ता अफवाहों के ज़रिए जनता के मन में यह विश्वास जमाने की कोशिश कर रहे हैं कि सत्ता परिवर्तन या जीत पहले से ही तय है।
लेकिन, इस बार की जनता पहले जैसी नहीं है — अब वो जागरूक, समझदार और विवेकशील हो चुकी है। लोगों को भलीभांति ज्ञात है कि नगर परिषद का नेतृत्व किसी राजनीतिक झंडे से नहीं, बल्कि ऐसे जनप्रतिनिधि से चाहिए जो उनके विकास, समस्याओं के समाधान और ईमानदार कार्यशैली के लिए समर्पित हो।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इस बार वोट जात-पात, दल या पहचान पर नहीं, बल्कि व्यक्तिगत कार्य और जनता से निकटता के आधार पर पड़ेगा। जनता अब यह तय करने के मूड में है कि कौन उनका असली “फरिश्ता” बनकर उन्हें न्याय और विकास की राह दिखाएगा।
इस प्रकार, बल्लारपुर का यह नगर परिषद चुनाव केवल सत्ताधारी या विपक्षी दलों की जंग नहीं, बल्कि जनता और उनके असली सेवक के बीच विश्वास की परीक्षा बनकर उभर रहा है।
गणेश मुरलीधर रहिकवार 
✒️..संपादक - चंडिका एक्सप्रेस
