मुल (वि.प्र.) : शुशिक्षित बेरज़गारों को नौकरीया नही रोजगार नही ऐसे मे यही सोचते रहना शायद उनकी मजबुरी बन गयी है के अकल का इस्तेमाल कर पैसा कैसा कमाया जाए कुछ ऐसे भी है कम समय कम मेहनत में जनता को कैसे लुटा जाए और ऐशो आराम की जि़दगी कैसे बिताई जाए . . आज जिधर देखो उधर लुटमार की घटनाएं होती नज़र आती है जिसमे सायबर सबसे उपर है . और अन्य ऐसे ही क्राईम आए दीन होते रहते है ं और अपराधियों तक पुलीस पहुंच नही पाती इसमे लालच में डुबी जनता भी बराबरी की जि़म्मेदार होती है.
हाल ही मे एक ऐसा ही अजिबो गरीब आर्थिक लुट का मामला सामने आया है .एक बुद्धिमान महाशय ने अपने आपको को बि.एम.सी. सोशल वेल्फेअर सोसायटी नागपुर कंपनी का प्रकल्प अधिकारी बताकर किसानो को बडी सरलता से लुट लीया यह घटना मुल तहसिल के किसानों के साथ घटी है.सरकारी योजना के अंतर्गत काटेरी तार,बोरवेल,खेती तालाब, मछली गढे, स्पिरींग कलर शेड,नेट से संबधित योजना के तहत लाभ पाने के लिए 300/ 300 रू वसुल किये. निजी स्वरुप मे लाभ चाहिए तो व्यक्तिगत लाभ के लिए पैसे जमा करना होगा . यह कहकर आरोपी अमित बांबोले ने 15 लोगो का सेंद्रीय खत गट बना कर हर किसान से 3000 /- और गट प्रमुख सै 6000 रू के हिसाब से रकम जमा कर चलता बना . हर ग्राम में यही फार्मुला अपनाया और किसानों को मुर्ख बना गया . महिनो बितने के बाद भी अमित बांबोले आया नही और ना ही किसी योजना का बि एम सी से उन्हे लाभ पहुंच पाया . बांबोले की तलाश शुरू हुई यह बात जैसे फैलते गयी अन्य ग्रामिण क्षेत्र के किसान भी उसकी तलाश करते नज़र आए तब सबके समझ में आया के वे लुट लिए गये हैं.
अपराधी अमित बांबोले मुल तहसिल के ग्राम बेंबाल का निवासी है.जब लुटे हारे पिडीत लोग उस तक पहुंचे तब उसने सभी के पैसा वापस करने का कबुल किया और 100/ - रू. के स्टैंप पेपर पर लिखित मे भी दिया लेकीन उसका कोई लाभ नही हुआ अंतत: यह मामला राष्ट्रवादी कांग्रेस के मुल तालुका अध्यक्ष मंगेश पोटवार तक पहुंचा. मामला पुरी तरह धोका धडी का है यह समझते देर नही लगी.पोटवार सभी पिडीतों को साथ लेकर पुलिस स्टेशन पहुंचे थानेदार सुमित परतेकी के सामने रख्खा. दि.01 फेब्रु. को लिखीत रिपोर्ट भी दी गयी जिस पर आज समाचार लिखने तक किसी भी प्रकार कारवाई अपराधी के खिलाफ नही हुई.
बिना जांच पडताल अंधे व्यवहार ना करें : -
किसानो कीआर्थिक लुट करने वाले अमित बांबोडे पर अविलंब कारवाई की जाए. जांच होने पर कहां कहां कैसे कैसे लालच देकर और कितने किसानो को लुटा गया यह सामने आ सकता है. आगे उन्होने कहा के बिना जांच पडताल पुछताछ किए किसानो द्वारा ईस प्रकार के अंधे व्यवहार नही किए जाने चाहीए.